पटना: बिहार जदयू के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मीडिया के सामने इसकी घोषणा करते हुए पार्टी नेतृत्व पर सवाल भी खड़े किये। उन्होंने कहा कि मैंने जदयू को छोड़ने का एलान किया है। चौधरी का कहना है कि साल भर से ज्यादा वक्त से जदयू में मेरी बात नहीं सुनी जा रही थी इसीलिए बिहार में दलितों के साथ हो रहे व्यवहार की वजह से मैंने पार्टी से अलग होने का फैसला लिया है। यहां तक दलितों का आरक्षण समाप्ति के कगार पर हो गया है। छात्रवृत्ति को समाप्त कर उसे क्रेडिट कार्ड में बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रमोशन में आरक्षण समाप्त कर दिया गया।
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गौरतलब है कि उदय नारायण चौधरी पिछले कई दिनों से अपनी ही पार्टी व सीएम नीतीश कुमार से नाराज चल रहे थे। वो सरकार के खिलाफ लगातार बगावती तेवर अपनाये हुए थे। मंगलवार को उन्होंने दलितों के समर्थन में एक मार्च भी निकाला था। पिछले दिनों पटना में भारतीय जनता पार्टी के बागी नेता शत्रुघ्न सिन्हा व यशवंत सिन्हा के साथ एक कार्यक्रम में वे शरीक भी हुए थे, जिससे कयास लगे जा रहे थे की वे जल्द ही पार्टी में अपने भविष्य को लेकर कोई बड़ा कदम उठाएंगे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं जदयू में 20 साल से था। उसको सींचने और बनाने में हमारी भूमिका रही है लेकिन जदयू के कार्यकर्ताओं के मनोबल को कुचलकर धनकुबेरों को आगे बढ़ाया जा रहा है और प्राथमिकता दी जा रही है, दलितों के अधिकार को कुचला जा रहा है। महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ गयी हैं। राज्या की कानून-व्यबवस्थाा भी खराब हो गई है। मुख्यमंत्री से बातचीत की, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। इससे वे आहत हैं।
अपने अगले कदम की बाबत उदय नारायण चौधरी ने कहा कि अब वे सांप्रदायिक ताकतों के चंगुल से बाहर निकल गए हैं। इतना तो तय है कि जदयू-भाजपा या राजग में नहीं जाएंगे। शेष जो भी बचे, उनके साथ हैं। अब इस बात के कयास लगाये जा रहे हैं कि वे शरद यादव या राजद किसी भी दल के साथ जा सकते हैं।