आरा और छपरा को जोड़ने वाले पुल का निर्माण 2017 तक पूरा हो जाएगा| आशा की जा रही है कि इस पुल पर जून के महीने से यातायात चालू हो जाएगा| इस पुल के चालू हो जाने से उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने के लिए गांधी सेतु के बाद एक और विकल्प तैयार हो जाएगा| फिलहाल गांधी सेतु की जर्जर हालत के चलते दोनों दिशाओं की ओर आने-जाने वाले यात्रियों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है| इस पुल के तैयार हो जाने से शाहाबाद और मगध इलाके से उत्तर बिहार जाना बहुत आसान हो जाएगा| दक्षिण बिहार के दर्जन भर जिले पटना गए बिना ही छपरा या उत्तर बिहार के कई दूसरे शहर पहुंच जाएंगे| आरा, औरंगाबाद और भभुआ की दूरी सीवान, छपरा और गोपालगंज से कम हो जाएगी| आरा से छपरा जाने के लिए अभी 120 किमी दूरी तय करनी पड़ती है, लेकिन पुल बन जाने से मात्र 20 किमी की दूरी तय करनी होगी.
इस महासेतु में कुल 52 स्पैन लगाए गए हैं जो अलग-अलग लंबाइयों के है,2स्पैन 50 मीटर लंबाई के हैं जबकि 35 स्पैन 60 मीटर और 15 एक्सट्राडोज्ड स्पैन 120 मीटर लंबाई के हैं| यह भारत का सबसे लंबा 4 लेन एक्सट्राडोज्ड सेतु है| हालांकि कुछ समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं जिनमें मुख्य रुप से एप्रोच रोड का निर्माण है| आरा की ओर से 16.1 किलोमीटर एप्रोच रोड है जबकि छपरा की ओर0.90 किलोमीटर लंबा एप्रोच रोड का निर्माण होना है| एप्रोच रोड में परेशानी के बीच पुल निर्माण विभाग को उम्मीद है कि बाधाएं दूर हो जाएंगी और पुल जून 2017 के महीने से चालू हो जाएगा|