नई दिल्ली। आज हमारे देश के लिए गर्व का दिन है। आज से ठीक 20 साल पहले भारत ने पाकिस्तान को खदेड कर वहां से बाहर निकाला था। जवानों की इसी बहादूरी को आज हर कोई याद कर रहा है। उनकी वीरता को सलाम कर रहा है। ऐसा ही माहौल बना हुआ है द्रास में जहां कि फिजाओं में देशभक्ति के गीत गूंज रहे हैं।
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दरअसल भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल युद्ध हुआ था। इसकी शुरूआत 8 मई 1999 से 26 जुलाई तक चली थी। इसी दिन भारत ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त की थी, और उन्हें धूल चटाई थी। एक बड़े खुलासे के तहत पाकिस्तान का दावा झूठा साबित हुआ कि करगिल लड़ाई में सिर्फ मुजाहिद्दीन शामिल थे। बल्कि सच ये है कि यह लड़ाई पाकिस्तान के नियमित सैनिकों ने भी लड़ी। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी शाहिद अजीज ने यह राज उजागर किया था।
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करगिल सेक्टर में 1999 में भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच लड़ाई शुरू होने से कुछ सप्ताह पहले जनरल परवेज मुशर्रफ ने हेलिकॉप्टर से नियंत्रण रेखा पार की थी और भारतीय भूभाग में करीब 11 किमी अंदर एक स्थान पर रात भी बिताई थी। इस काम के लिए पाक सेना ने अपने 5000 जवानों को कारगिल पर चढ़ाई करने के लिए भेजा था। तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस बात को स्वीकारा था कि करगिल का युद्ध पाकिस्तानी सेना के लिए एक आपदा साबित हुआ था। पाकिस्तान ने इस युद्ध में 2700 से ज्यादा सैनिक खो दिए थे। पाकिस्तान को 1965 और 1971 की लड़ाई से भी ज्यादा नुकसान हुआ था।
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आज द्रास के युद्ध स्मारक में हर किसी की जुबान पर बस भारत मां के सपूतों की वीरता के किस्से हैं. हालात बदल गए हैं, वहीं भारत ने पाकिस्तान के इस धोखे से कई सबक लिए है।