मधुबनी की नैंसी झा हत्याकांड में जब से पुलिस ने गंभीरता से जांच करना शुरु किया है और सूत्रों को जोड़ना शुरु किया है तो पुलिस के भी माथे पर बल पड़ रहे हैं| पुलिस अब इस घटना के एक-एक तार को दोबारा से जोड़ने में लगी है और ये पता करने की कोशिश कर रही है कि नैंसी की हत्या में कहीं घर के लोग ही तो शामिल नहीं हैं? इसके पीछे पुलिसिया जांच के कुछ तर्क भी हैं मसलन हत्या के बाद जब जांच के लिए डॉग स्क्वायड को बुलाया गया था तो वो कुत्ता भी घर के आसपास ही जाकर रुक गया था| पुलिस का मानना है कि उसका भाई ही इकलौता ऐसा शख्स था जो शादी के खान-पान में शामिल नहीं हुआ था| उसके भाई ने ही नैंसी को आम के पेड़ के पास आखिरी बार देखा था और दो आरोपियों के नाम भी बताए थे|
गांव के लोग खुलकर तो नाम नहीं लेकिन यह कहने से भी नहीं कतरा रहे है कि घर के भेदी इस मामले में संलिप्त है| बताया जाता है कि नैंसी के भाई को पुलिस ने हिरासत में भी लिया था, लेकिन नैंसी के पिता के हंगामे के बाद उसे छोड़ दिया गया|
पुलिस के शक की सुई अभी भी नैंसी के भाई पर टिकी है| मधुबनी एसपी पहले ही कह चुके हैं कि नैंसी का अपहरण नहीं हुआ, उसकी हत्या हुई और जब डॉग स्क्वॉड आया तो वह उसी घर पर रूका, जिस घर में नैंसी आखिरी बार गई थी|
मधुबनी के एसपी दीपक वरनवाल ने कहा कि नैंसी के अपहरण के मामले में जैसा पिता ने एफआईआर कराया, वैसा अपहरण करना नामुमकिन है| नैंसी के पिता ने अपने एफआईआर में लिखा है कि एक व्यक्ति बाइक पर नैंसी का अपहरण कर लिया, जिसके पीछे पैदल लालू झा जा रहे थे|
बहरहाल, नैंसी हत्याकांड की पहेली रहस्यमय बनी हुई है| सवाल यह है आखिर 12 साल की बच्ची को एक युवक मोटरसाइकल पर बीच बस्ती से कैसे अपहरण कर सकता है? आखिर कौन झूठ बोल रहा है और क्यों झूठ बोल रहा है?