नालंदा जिले का दखेशपुरा गांव| इसी गांव के रहने वाले किसान हैं नीतीश| नीतीश को इस इलाके के लोग रिकॉर्ड तोड़ किसान के नाम से भी जानते हैं| भला वो क्यों,क्या आप जानते हैं? नहीं ना| तो हम आपको बताते हैं| नीतीश ने लगातार दो साल धान और आलू का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन कर राज्य का नाम तो रोशन किया ही राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रपति ने उन्हें सम्मानित भी किया| साल 2011 में नीतीश ने महज एक हेक्टेयर खेत में 196 क्विंटल धान का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन किया| सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि नीतीश ने ऐसा कर चीन के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया| इसलिए इन्हें रिकॉर्ड तोड़ किसान के नाम से भी जानते हैं | ये तो थी धान उत्पादन की बात अब जरा आगे जानिए | साल 2012 में नीतीश ने आलू का रिकॉर्ड उत्पादन किया| नीतीश ने प्रति हेक्टेयर 725 क्विंटल उत्पादन कर नीदरलैंड को पछाड़ दिया| जिसके चलते उन्हें राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री ने सम्मानित भी किया|
अपने दम पर धान और आलू का रिकॉर्ड उत्पादन करने वाले किसान नीतीश को आशा थी कि उन्हें सरकार की तरफ से मदद मिलेगी जिससे वो और बड़ी मात्रा में धान और आलू का उत्पादन कर पाएंगे| लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें कोई प्रोत्साहन नहीं मिला जिसके चलते वो निराश हैं| नीतीश बताते हैं कि पहले फसल लगाने की लागत कम थी और सरकारी सहायता ज्यादा मिलती थी लेकिन आज समय के साथ-साथ बीजों के दाम दोगुने हो गए और सरकारी सब्सिडी भी कम हो गई| वो बताते हैं कि हाईब्रिड बीज काफी महंगे दामों में मिलते हैं जिसे खरीदना मुश्किल हो रहा है| नीतीश आगे कहते हैं कि साल 2016 के बाद से वो हाईब्रिड बीज से ज्यादा देसी बीज को तरजीह देना शुरु किया है और इसके पीछे कारण है हाईब्रिड बीज से लगाई गई फसल की ज्यादा लागत|
हालांकि केंद्र सरकार ने किसानों को स्वायल हेल्थ कार्ड देना शुरु किया है | नीतीश बताते हैं कि केंद्र सरकार की ये अच्छी स्कीम है और इससे किसानों को काफी फायदा हो सकता है लेकिन इस योजना को भी सही तरीके से लागू नहीं किया जा रहा है| नीतीश कुल ढाई एकड़ जमीन में खेती करते हैं जिसमे एक एकड़ खेती पट्टे पर लेते हैं| उन्होंने कहा कि लोग खेती इसलिए छोड़ रहे हैं क्योंकि इसमें ज्यादा लागत के साथ उत्पाद के लिए मार्केट उपलब्ध नहीं है|