नई दिल्ली। लीप ईयर जो चार साल में एक बार आता है। जो फरवरी महीने में पड़ता है। लीप ईयर आने से फरवरी महीने में एक दिन और जुड़ जाता है। जिसके बाद फरवरी का महीना 28 की जगह 29 का हो जाता है। आइए आपको लीप ईयर के बारे में विस्तार से बताते हैं।
क्या होता है लीप ईयर?
आप सभी को पता है कि, धरती सूर्य की परिक्रमा करती है, जिसके कारण दिन-रात होते हैं और मौसम में परिवर्तन आने लगता है। पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा लगाने में लगभग 365.242 दिन का समय लगता है। एक साल में 365 दिन होते हैं। ऐसे में 0.242 दिन का समय चार साल में जुड़कर एक दिन हो जाता है। जो 28 से 29 दिन का हो जाता है। साल में 366 दिन हो जाते हैं इसलिए वो साल लीप ईयर कहलाता है।
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लीप ईयर में कितने दिन होते हैं?
ज्यादातर एक साल में 365 दिन होते हैं, लेकिन एक लीप ईयर में 366 दिन होते हैं।
क्यों मनाया जाता है लीप ईयर?
पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन और 6 घंटे में पूरी करती है। इस तरह से हर 4 साल में एक दिन बढ़ जाता है। जो 4 साल के बाद पड़ने वाला लीप ईयर कहलाता है।
अगला लीप ईयर कब पड़ेगा?
हर चार साल में लीप ईयर मनाा जाता है, ऐसे में अगला लीप ईयर 2024 में मनाया जाएगा।
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लीप वर्ष कब प्रारंभ हुआ?
जब से दुनिया में Gregorian calendar को अपनाया गया। उस समय से लीप वर्ष पड़ता है। प्रभु यीशु के जन्म वर्ष से Gregorian calendar को अपनाया गया है।
पहला लीप वर्ष कब पड़ा था?
प्रभु यीशु के जन्म वर्ष के चार वर्ष बाद पहला लीप वर्ष पड़ा था। उस समय से हर चार वर्ष बाद लीप वर्ष पड़ता है
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अगर लीप वर्ष न मनाएं तो क्या होगा?
अगर लीप वर्ष न मनाएं तो हम हर वर्ष सौर मंडल के समय चक्र से 6 घंटे आगे निकल जाएंगे। इस तरह 100 वर्ष बाद 25 दिन आगे हो जाएंगे और फिर मौसम परिवर्तन का जरा भी ज्ञान नहीं रहेगा। इसलिए हर चार वर्ष बाद लीप वर्ष मनाया जाता है।