नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के ये बोल उनके जीवन के फलसफे को बयां करते हैं… उन्होंने अपने करिशमाई व्यक्तिव और अच्छे नेत्तृव के कारण राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई… 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर में जन्में अटल जी को बचपन से ही राजनीति गतिविधियों में सक्रिय रहे… जिसके चलते उन्होंने आजादी के आंदोलनों का हिस्सा बने। वो राष्ट्रीय स्वंय सेवक से जुड़े और देश हित के कामों में लग गए…1968 से 1973 तक वो भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे… विपक्षी पार्टियों के दूसरे सदस्यों की तरह उन्हें भी आपातकालीन के समय जेल जाना पड़ा… मोरारजी देसाई के नेत्तृव वाली जनता पार्टी वाली सरकार में 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री के पद पर काम किया। इस दौरान 4 अक्टूबर 1977 को उन्होंने संयुक्त महासभा को हिन्दी में संबोधित कर भारत का गोरव पूरी दुनिया में बढ़ाया। 1980 में जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद भारतीय जनता पार्टी का गठन किया गया। वाजपेयी इसके संस्थापक सदस्य और अध्यक्ष रहे… इस पद पर वो 1980 से 1986 तक रहे…
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अटल जी का कार्यकाल
उनके जीवन का सबसे बड़ा बदलाव आया 16 मई 1996 को… जब वो देश के प्रधानमंत्री चुने गए… लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित ना कर पाने की वजह से 31 मई 1996 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद 1998 तक वो लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे… 1998 के आम चुनाव में सहयोगी पार्टियो के साथ उन्होनें लोकसभा में अपने गठबंधन का बहुमत सिद्ध किया… और फिर दोबारा प्रधानमंत्री बने… लेकिन ये खुशी उन्हें ज्यादा समय के लिए नहीं मिली और उनकी सरकार दोबारा गिर गई। 1999 में एनडीए के साथ मिलकर उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा… और एक बार फिर वाजपेयी पीएम बने…लेकिन 2004 में एनडीए की गठबंधन वाली सरकार की हार हुई और 2009 में खराब सेहत के कारण उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए कई अहम कदम उठाए उन्होंने विज्ञान और तकनीकी के साथ देश का भविष्य जोड़ा… और जय जवान जय किसान और जय विज्ञान का नारा दिया… परमाणु शक्ति को देश के लिए आवश्यक बताकर 11 मई 1998 को पोखरड़ में परमाणु परिक्षण किया…
उन्होंने अपने कार्यकाल में देश के लिए कई अहम फैसले लिए… वो एक राजनीतिज्ञय के साथ-साथ एक अच्छे कवि भी थे… आज भले ही वो हमारे बीच नहीं हैं… लेकिन उनकी ये शख्सियत हमेशा हमारे जहन में जिंदा रहेगी।