राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की खराब हालत और अस्पताल कितना संवेदनहीन हो सकता है इसका ताजा उदाहरण है मुजफ्फरपुर का एसकेएमसीएच अस्पताल| कहने को तो ये अस्पताल बिहार के बड़े अस्पतालों में से एक है लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था का ऐसा लचर उदाहरण आपको कहीं नहीं मिलेगा| दावे बड़े-बड़े लेकिन उनपर अमल नहीं| इस अस्पताल की व्यवस्था ऐसी है कि यहां मरने के बाद भी लोगों को देखने वाला कोई नहीं| इस अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में एक 65 साल की बुजुर्ग महिला को भर्ती कराया जाता है,पहले तो इलाज के नाम पर कोताही और जब उस महिला का निधन हो जाता है तो इस अस्पताल में एक भी एंबुलेंस नहीं जिससे लाश को उसके ठिकाने तक पहुंचाया जा सके| बुजुर्ग महिला की मौत के बाद जब इस विभाग से उस विभाग दौड़ते-दौड़ते उसका दामाद थक गया,अपनी गरीबी का हवाला दिया, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई| बात नहीं बनती देख बेचारे ने सास की लाश को अपनी पीठ पर बांधा और बाइक से पंद्रह किलोमीटर दूर अपने ससुराल पहुंच गया| आप उस स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं कि कैसे वो शख्स उस महिला को पीठ पर बांधकर बाइक से घर पहुंचा होगा| ये है एसकेएमसीएच अस्पताल की सच्चाई,ये है डॉक्टरों की संवेदना,और ये है वहां की व्यवस्था|
रविवार शाम को मानवता को शर्मसार करने वाली घटना श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) की है। हालांकि अधीक्षक डॉ. जीके ठाकुर ने प्रबंधक से पूरे मामले में रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा इस घटना की जानकारी नहीं है। जांच का आदेश दिया गया है, जिसकी लापरवाही होगी उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
कोई भी चालक नहीं हुआ तैयार
एसकेएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में कांटी कस्बा की रहने वाली एक महिला को शनिवार को भर्ती कराया गया था। वह सांस की बीमारी से ग्रसित थीं। इलाज के क्रम में रविवार को उनकी मौत हो गई।
शव ले जाने के लिए परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से संपर्क किया, लेकिन वहां निराशा हाथ लगी। उसके बाद परिजनों ने निजी एंबुलेंस चालकों से संपर्क किया। उनलोगों ने कांटी कस्बा जाने के लिए आठ सौ रुपये मांगे।
अंत में महिला के दामाद ने मोटरसाइकिल से ही शव को गांव ले जाने की ठानी और रवाना हो गया|
उधर अस्पताल के हेल्थ मैनेजर का कहना है कि मृतका के किसी परिजन ने शव वाहन के लिए संपर्क नहीं किया, अगर संपर्क किया होता तो निश्चित रूप से शव वाहन उपलब्ध कराया जाता।