102 साल के दत्तात्रेय बखारिया (अमिताभ बच्चन) चीन के उस शख्स का रिकॉर्ड तोड़ना चाहते हैं जिन्होंने 118 साल की जिंदगी जी है।कौन हैं वो शख्स? इतनी लंबी जिंदगी जीने का फॉर्मूला क्या है? इस उम्र में पिता और बेटे का रिश्ता कैसा होता है? दर्शकों को अपने संवाद से गुदगुदाते अमिताभ बच्चन और फिर कुछ गंभीर सवाल। निर्देशक उमेश शुक्ला की फिल्म ‘102 Not Out’ की कहानी कुछ-कुछ फिल्म ‘बागबान’ से मिलती है। लेकिन फिल्म में ऐसा बहुत कुछ है जो आप एक बार जरूर देखना चाहेंगे।
करीब 27 साल बाद पर्दे पर ऋषि कपूर और अमिताभ बच्चन की जोड़ी आपको सिनेमाघर तक खींच कर ला सकती है। यह कहानी है मुंबई के विर्ले पार्ले में रहने वाले दतात्रेय बखारिया (अमिताभ बच्चन) और 75 साल के उनके बेटे बाबूलाल बखारिया (ऋषि कपूर) की। 102 साल के दतात्रेय उम्र से भले ही बुजुर्ग हैं, लेकिन उनका दिल यह बात मानने को तैयार नहीं। जबकि उनके 75 साल के बेटे बाबूलाल अपने बुढ़ापे को ओढ़कर जी रहे हैं। दत्तात्रेय की कोशिश है कि वो अपने बेटे की इस मानसिकता को बदले। इसके लिए वो अपने बेटे को वृद्धाश्रम तक भेजने को तैयार हो जाते हैं। दत्तात्रेय का मानना है कि सिर्फ और सिर्फ खुशी ही वो संजीवनी है जिसके जरिए जिंदगी लंबी हो सकती है।
यकीनन अभिनय के शांहशाह अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर की बेहतरीन अदाकारी आपको एहसास दिलाएगी की इस उम्र में भी इनका नॉन स्टॉप जलवा कायम है। एक पारिवारिक मनोरंजन वाली इस फिल्म में संदेश है कि चिंता छोड़ो, सुख से जीओ। दत्तात्रेय ने पढ़ा है कि ज्यादा दिनों तक जीना है तो आसपास उदास, बोर लोगों को ना रहने दो क्योंकि उदासी और बोरियत छूत की बीमारी है। जबकि हर समय का पाबंद उनका बेटा पिता की इन बातों से कोई खास इत्तिफाक नहीं रखता। फिल्म में ऋषि कपूर का एक अलग अभिनय देखने को मिलेगा क्योंकि वो फिल्म में नहाते भी घड़ी का समय देखकर हैं और डॉक्टर के पास भी हर रोज जाते हैं। हालांकि थोड़ी देर बाद फिल्म की कहानी ठहरी हुई मालूम पड़ती है क्योंकि पूरी कहानी में पिता की कोशिश सिर्फ अपने बेटे को यही समझाना है कि जिंदगी जीने का नाम है जिसे खुशी से जीना चाहिए।