बहादुरी दिखाने वाले ये बच्चे जो होंगे राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार से सम्मानित

by Mahima Bhatnagar
President

नई दिल्ली। भारतीय बाल कल्याण परिषद ने इस साल 22 बच्चों वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है। उनमें से हर एक की कहानी प्रेरणा देने वाली है। किसी बच्ची ने हादसे में पूरे परिवार को बचा लिया तो, किसी ने दोस्तों को बचाने में अपनी जान गंवा दी।

आइए जानते हैं बालवीरों की कहानी

जलती बस से 42 लोगों को बचाया
अलाइका जैसा ही हादसा आदित्य के. के साथ भी हुआ था। बीते साल एक मई को 15 साल के आदित्य केरल के 42 अन्य पर्यटकों के साथ नेपाल की यात्रा से लौट रहे थे। भारतीय सीमा से करीब 50 किलोमीटर पहले बस में आग लग गई। आग लगते ही ड्राइवर मौके से फरार हो गया, जबकि 5 बच्चों और कुछ बुजुर्गों समेत तमाम यात्री बदहवास थे। बस के दरवाजे बंद थे। इस बीच आदित्य ने हथौड़े से बस का पिछला शीशा तोड़ दिया। इस दौरान उनके हाथ और पैरों में शीशे से चोटें भी लगीं। आदित्य की यह वीरता ही थी कि बस के डीजल टैंक के फटने से पहले सभी यात्री निकल पाए।

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आतंकी फायरिंग से पैरेंट्स और बहनों को बचाया

बीते साल 24 अक्टूबर की बात है। कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के चौकीबल और तुमिना में पाकिस्तान ने फायरिंग शुरू कर दी। 16 साल के मुगल उस वक्त घर में ही थे। उनके घर की पहली मंजिल पर पाकिस्तान का एक गोला आकर गिरा। वह बाहर निकल आए, लेकिन तभी उन्हें याद आया कि उनके पैरेंट्स और दो बहनें अभी अंदर ही हैं। इसके बाद वह तुरंत घर गए और अपनी दो बहनों को सुरक्षित निकालकर लाए। इसके बाद मकान ढहने से पहले उन्होंने माता और पिता को भी जगाकर बाहर निकलने।

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बच्ची ने बचाई माता-पिता और दादा की जान
22 बच्चों में से 10 लड़कियों को भी इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। बेटियों की बहादुरी की कहानी सुनाते हुए कई पैरेंट्स बेहद भावुक हो गए। ऐसी ही एक बेटी हैं हिमाचल प्रदेश की अलाइका। महज 13 साल की अलाइका उस वक्त अपने माता, पिता और दादा के लिए फरिश्ता बन गईं, जब उनकी कार अचानक रोड से नीचे खाई में गिरने लगी। अलाइका की मां सविता बताती हैं, ‘हम एक बर्थडे पार्टी में जा रहे थे। पालमपुर के पास हमारी कार अचानक खाई में जाने लगी। किस्मत अच्छी थी कि एक पेड़ के तने से टकराकर वह रुक गई। इस हादसे के बाद अलाइका सबसे पहले होश में आई और लोगों को मदद के लिए बुलाया। यदि वह न होती तो आज हम लोग जिंदा न बचते।’

इन्हें भी मिलेगा बहादुरी का पुरस्कार
पुरस्कार पाने वाले अन्य बच्चों में असम के मास्टर श्री कमल कृष्ण दास, छत्तीसगढ़ की कांति पैकरा और वर्णेश्वरी निर्मलकर, कर्नाटक की आरती किरण सेठ औरवेंकटेश, केरल के फतह पीके, महाराष्ट्र की जेन सदावर्ते और आकाश मछींद्र खिल्लारे को दिया जाएगा। इसके अलावा मिजोरम के तीन बच्चों और मणिपुर व मेघालय से एक एक बच्चों को वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया है।