सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते…
द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी :
सुख, शान्ति एवम समृध्दि की मंगलमयी कामनाओं के साथ नवरात्र के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है| नवरात्र को लेकर देश भर में लोगों में उत्साह है। इस महापर्व के दूसरे दिन मां के द्वितीय रूप ब्रह्मचारिणी की आराधना की जाती है। पुराणों के मुताबिक मां का स्वरुप हमारे जीवन में तप अर्थात कठिन परिश्रम की महता को दर्शाता है। उनके दिव्य स्वरुप का ध्यान हमारे जीवन को नैतिक व चारित्रिक बल प्रदान करता है। हमें जीवन में आशा व विश्वास के साथ सत्कर्म करने की प्रेरणा देता है|
पूजा की विधि :
नौ दिन चलने वाले इस पर्व में दूसरे दिन मॉ की पूजा ब्रह्मचारिणी के रुप में की जाती है। कथाओं के अनुसार, माँ दुर्गा के द्वितीय रूप का नाम ब्रह्मचारिणी इसलिए पड़ा क्यूंकि उन्होंने ब्रह्म में लीन होकर तप किया था| पुराणों के अनुसार माँ की सच्चे मन से पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
श्रद्धालुओं में उत्साह :
नवरात्र को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में लोगों के बीच गजब का उत्साह देखने को मिल रहा है। शहर के तमाम पूजा पंडाल सज-धज के तैयार हो गए है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दूर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। मां के भक्त नवरात्र के नौ दिनों तक उपवास रख कर मां की आराधना करते है। ऐसा माना जाता है नौ दिन तक मां के अलग-अलग रुपों की पूजा – अर्चना करने से माता की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।