नई दिल्ली। 16 दिसंबर 2012 एक ऐसा दिन जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। वो रात भारत के इतिहास की काली रात बन गई। यह वहीं रात है जब निर्भया के साथ गैंगरेप किया गया। जिसके घाव अभी भी भर नहीं पाए हैं। आज से 7 साल पहले हुए इस हादसे ने एक परिवार से उनकी बेटी छीन ली। एक ऐसी बेटी जो अपने परिवार के लिए कुछ करना चाहती थी, कुछ बनना चाहती थी, ताकि वो अपनी पहचान बना सके। लेकिन आज बस वो उस रात के हादसे के रूप में लोगों के जहन में जिंदा रह गई है।
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निर्भया के साथ क्या हुआ था उस रात
16 दिसंबर की रात 23 वर्षीय निर्भया अपने दोस्त के साथ फिल्म देखकर निकली। जिसके बाद उन्होंने मुनिरका से द्वारका जाने के लिए निजी बस ली। वह एक चार्टर्ड बस थी लेकिन घर जल्दी पहुंचने के कारण वह दोनों उस बस में सवार हो गए। उस बस में ड्राइवर और एक नाबालिग समेत पांच लोग बस में पहले से ही मौजूद थे। जिन्हें देखकर वो दोनो बस में चढ़ गए। उनके बस में बैठने के बाद बस परिचालक ने बस का दरवाजा बंद कर दिया। कुछ दूरी पर बस पहुंचने के बाद उन लोगों ने लड़की के साथ छेड़खानी करनी शुरु कर दी। जब उन दोनों ने इसका विरोध किया तो उन पांच लोगों ने लड़की के दोस्त को मारना शुरू कर दिया। उन्होंने उसके दोस्त को रॉड से मारा, जिसमें वो घायल होकर बेहोश हो गया।
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इसके बाद उन्होंने निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। जब लड़की ने इसका विरोध किया तो उन्होंने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी और उसके प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डालकर उसे बहुत बुरी तरह से घायल कर दिया। लेकिन इसके बाद भी वो लोग नहीं रुके उन्होंने दोनों को पहले बुरी तरह पीटा फिर मरा हुआ समझकर एक खाली जगह पर फेककर भाग गए। जब उसके दोस्त को होश आया तो उसने लोगों से मदद मांगी। तभी वहीं से गुजरे रहे एक व्यक्ति ने उन्हें देख तुरंत पीसीआर को फोन किया। पुलिस ने मौके पर पहुंच उन्हें तुरंत सफदरजंग अस्पताल पहुंचाया।
देश के लोगों का गुस्सा
अगले दिन जब यह खबर न्यूज चैनल, अखबार और सोशल मीडिया पर फैली तो लोग में इंसाफ को लेकर आक्रोश जाग उठा। जिसका सबसे ज्यादा सरकार पर पड़ा। अपनी सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार भी उस समय बिल्कूल असमर्थ दिख रही थी। लोगों इसके खिलाफ जगह-जगह इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन करना शुरु कर दिया। उनकी सिर्फ एक मांग थी कि उन सभी अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
इसके लिए हजारों कि संख्या में लोग इंडिया गेट पर इकट्ठे हुए। इतनी भीड़ को देखकर पुलिस ने भी उन्हें वहां से हटाने की कोशिश की जिसमें कई लोगों को गंभीर चोट आई लेकिन अपनी चोट की परवाह करे बिना उन्होंने अपना प्रदर्शन जारी रखा।
जिसके बाद पुलिस ने अपनी कार्रवाई करते हुए बस चालक समेत उन सभी अपराधियों को गिरफ्तार किया। जिसमें से एक अपराधी ने जेल में खुदखुशी कर ली थी। लेकिन निर्भया को इंसाफ अभी तक नहीं मिला। वहीं इस केस में अपराधी नाबालिग लड़के को कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई। जिसके बाद अब वो बरी हो गया है।
आज निर्भया को गए हुए 7 साल हो गए हैं, लेकिन इंसाफ की राह कहीं दिखाई नहीं दे रही। मांग जारी है लेकिन सुनने वाला कौन है आज भी इसका पता नहीं चल पाया है। फांसी, फांसी कहते कहते निर्भया के परिवार वाले थक गए, लेकिन फांसी अब तक नहीं दी गई। अब हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है कब मिलेगा इंसाफ, और कितना करेगें निर्भया के परिवार वाले इंतजार।