निर्भया रेप केस: क्या गुनहगारों के पास बचने के लिए अब भी है कोई विकल्प

by Mahima Bhatnagar
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नई दिल्ली। निर्भया रेप केस एक ऐसा मामला जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। अब उसके गुनहगारों को होने वाली फांसी ने सबको हैरान कर रखा था। लेकिन कहते हैं ना उम्मीद पर सब कायम होता है। तीन तारीख टलने के बाद अब जाकर उनकी फांसी की नई तारीख निश्चित हो गई है। निर्भया के इन चार गुनहगारों की फांसी के लिए अब शुक्रवार बीस मार्च सुबह साढ़े पांच बजे का वक्त तय किया गया है। लेकिन अभी भी सबके जहन में एक सवाल उठ रहा है कि, क्या इस तारीख को भी वही तो नहीं होगा जो 22 जनवरी, 1 फरवरी और 3 मार्च को होगा? तो जवाब है कि, उम्मीद लगाई जा रही है कि, इस बार तिहाड़ से जल्लाद को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ेगा। क्योंकि अब इन गुनहगारों के पास कोई भी विकल्प बाकी नहीं हैं।

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चौथी बार निकला डेथ वारंट

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निर्भया के गुनहगारों के खिलाफ अब चौथी बार डेथ वारंट निकाला गया है। चौथी बार मौत की जो नई तारीख तय की गई है, वो है 20 मार्च शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे। चौथा डेथ वारंट भी उसी पटियाला हाउस कोर्ट ने जारी किया जिसन इससे पहले 22 जनवरी, 1 फरवरी और 3 मार्च की तीन तारीख फांसी तय की थी, पर तीनों ही बार खुद फांसी नहीं हो पाई। क्या चौथे डेथ वारंट का हश्र भी पहले की तीन डेथ वारंट जैसा होगा? या फिर ये मौत की फाइनल और आखिरी तारीख साबित होगी?

निर्भया की वकील ने कही ये बात

निर्भया की वकील का कहना है कि इस बार ये आखिरी डेथ वारंट साबित होगा। वैसे क़ानून के नज़रिए से देखें तो लगता है कि इस बार ये चारों नहीं बच पाएंगे। बीस मार्च सुबह साढ़े पांच बजे इनकी ज़िंदगी की आखिरी तारीख़ होगी। आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों होगा? कानून ने फांसी से बचने के लिए इन चारों को जितनी भी लाइफ लाइन दी थी, लगभग अब वो सारी ख़त्म हो चुकी हैं।

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14 दिन की मोहलत

सवाल ये कि दया याचिका खारिज करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज होने की तारीख आखिरी तारीख मानी जाएगी या फिर राष्ट्रपति की ओर से खारिज दया याचिका की तारीख को आखिरी तारीख़ मानी जाएगी। ये सवाल इसलिए अहम है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की 2014 की एक रूलिंग के मुताबिक डेथ वारंट जारी होने के बाद मरने वाले को कम से कम 14 दिन की मोहलत दी जानी ज़रूरी है।

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अब अगर ऐसे में राष्ट्रपति की ओर से खारिज दया याचिका की तारीख़ को ही आखिरी तारीख मानी जाए, तो फिर 20 मार्च की फांसी का रास्ता साफ है। क्योंकि राष्ट्रपति ने 4 मार्च को पवन की दया याचिका खारिज की है। जबकि पटियाला हाउस कोर्ट ने पांच मार्च को डेथ वारंट जारी किया है। दोनों ही हिसाब से मरने वाले को 14 दिन से ज्यादा की मोहलत दी गई है। यानी ऐसी सूरत में डेथ वारंट पर आसानी से तामील किया जा सकता है।