बिहार में काम कर रहे 4.5 लाख कर्मचारियों और 3 लाख पेंशनधारियों के लिए खुशखबरी है| नीतीश कुमार की कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं पर अपनी मुहर लगा दी है| रविवार को ही जी एस कंग की अगुवााई वाली कमेटी ने नीतीश कुमार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी| राज्य कैबिनेट की मुहर लगने के बाद अब सूबे के साढ़े चार लाख राज्य कर्मियों और साढ़े तीन लाख पेंशनधारियों के वेतन व पेंशन में बढ़ोतरी हो जाएगी। अब इस वेतनमान के लागू होने से राज्यकर्मियों और पेंशनभोगियों को केंद्र के कर्मचारियों के समान ही वेतन मिलेगा। इसके बाद राज्य के कर्मचारियों का मौजूदा बेसिक वेतन बढ़ कर 2.57 गुना हो जायेगा।
सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा लागू होने के बाद राज्य सरकार पर पांच हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने यह घोषणा की है कि सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा का लाभ राज्यकर्मियों को इस वर्ष की पहली जनवरी से मिलेगा।
एक अनुमान के अनुसार सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा से राज्यकर्मियों के वेतनमान में पंद्रह से बीस प्रतिशत की बढ़ोतरी संभव है। ऐसी चर्चा है कि राज्य वेतन आयोग ने यह अनुशंसा की है कि एक श्रेणी के पद के लिए जो अलग-अलग व्यवस्थाएं हैं उन्हें खत्म कर दिया जाए।
सरकारी शिक्षकों में बुनियादी, राजकीय व इस तरह से कई श्रेणी के शिक्षक हैं। इन सभी श्रेणियों को खत्म कर एक श्रेणी बनाने का प्रस्ताव दिया गया है। इसी तरह सचिवालय व जिलों में अलग-अलग विभागों में एक ही प्रकृति के पद पर कार्यरत लोगों के पदों को एक श्रेणी में किए जाने की अनुशंसा की गयी है।
हाउस रेंट के मामले में फिलहाल किसी तरह का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यह मामला अभी केंद्र सरकार के स्तर पर ही नहीं सुलझा है।
राज्य वेतन आयोग के अध्ययन की परिधि में नियोजित शिक्षकों से जुड़ा कोई मामला नहीं था। आधिकारिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार नियोजित शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के हिसाब से लाभ मिले इसके लिए शिक्षा विभाग अलग से संकल्प लाएगा।