जेनिटिकली मोडीफाइड यानि जीएम बीज पर एक बार फिर बिहार ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है| इसको लेकर मुख्यंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय वन और जलवायु परिवर्तन विभाग को पत्र लिखा है| पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि जीएम सरसों की व्यावसायिक खेती की भारत में अनुमति किसी कीमत पर नहीं मिलनी चाहिए| यह देश के किसानों और यहां के पर्यावरण के लिए भारी नुकसानदायक साबित होगा|
सीएम ने पत्र में कहा है कि रिपोर्ट ये बताती है कि जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रेजल कमेटी ने जीएम सरसों की खेती को अनुमति दे दी है| अब ये प्रस्ताव जलवायु मंत्रालय के पास विचाराधीन है कि वो इसे मानते हैं या नहीं| मुख्यमंत्री ने कहा कि ये प्रस्ताव निश्चित तौर पर अस्वीकृत होना चाहिए| सीएम ने इस मामले में छह अक्टूबर 2016 को पीएम नरेंद्र मोदी की लिखे पत्र का हवाला दिया| इस चिट्ठी में भी सीएम ने जीएम बीज के भारत में इस्तेमाल की अनुमति नहीं दिए जाने की बात कही थी|
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार जीएम सरकों बीज को अनुमति देती है तो भविष्य में राज्य पर भी इसके लिए दबाव बनेगा,जबकि कृषि राज्य का विषय है|
किसान बीज के लिए होंगे परेशान
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान बीज के लिए पूरी तरह मल्टी नेशनल कंपनियों पर निर्भर हो जाएंगे| वर्तमान बीज एक्ट में भी इसका प्रावधान नहीं है कि इस तरह की तकनीक फेल होती है तो किसानों को इसकी भरपाई की जाएगी| यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है| केंद्र सरकार को भी इस मामले में अंतिम फैसला लेने के पहले सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देनी होगी|