आज के जमाने में क्या कोई अपने परिवार की भलाई के अलावा किसी और की भलाई सोचता है? नहीं ना| अगर कुछ लोग होंगे तो भी वो गिने चुने ही होंगे| लेकिन राजधानी पटना में भी एक शख्स ऐसा है जिसे ना केवल अपने परिवार की चिंता है वरन उसके दुकान में काम करने वाले कामगारों की भी उतनी ही चिंता है| कम से कम उसकी लिखी वसीयत तो यही बताती है| हम आपका परिचय कराते हैं उस शख्स से जिनका नाम है महेंद्र सिंह| महेंद्र सिंह की लिखी वसीयत के मुताबिक उनकी दुकान की कमाई का तीस फीसदी हिस्सा वहां काम करे रहे कर्मचारियों को,20 फीसदी हिस्सा व्यवसाय के विस्तार में,10-10 प्रतिशत व्यवसाय की देखरेख और कल्याण कोष के लिए है, जबकि 30 प्रतिशत परिवार के हिस्से में आने की बात लिखी है| महेंद्र सिंह पेशे से व्यवसायी है जिनका निधन पिछले 3 अप्रैल को हो गया| निधन के बाद उनकी बेटी ने उनकी वसीयत सबके सामने पढ़कर सुनायी| वसीयत सुनकर लोग अचंभित हैं और महेंद्र सिंह की नेकदिली पर उनका गुणगान कर रहे हैं|
दुकान से करीब पचास परिवारों की रोजी चल रही है| हरेक महीने दुकान से करीब एक लाख रुपए का मुनाफा होता है| उनकी बेटी कंवलजीत को अपने पिता पर गर्व है और वो कहती हैं कि पिता के फैसले में पूरा परिवार साथ है| कंवलजीत बताती हैं कि पिता ने ये मुकाम पाने के लिए काफी संघर्ष किया| कभी पटना स्टेशन के नजदीक दुकान चलायी,तो कभी न्यू मार्केट में अपना धंधा शुरु किया| लेकिन बोरिंग रोड पर क्वालिटी कॉर्नर नाम से इस दुकान की शुरुआत साल 1960 में हुई शुरुआती दौर में चाय और टोस्ट के नाम पर शुरु हुई ये दुकान बाद में शहर की मशहूर मिठाई की दुकान में तब्दील हो गई|
यहां काम कर रहे कुछ ऐसे भी कर्मचारी हैं जो दुकान में पिछले 40-50 सालों से काम कर रहे हैं| यहां काम करने वाले कर्मचारी महेंद्र सिंह के व्यवहार को याद कर रोने लगते हैं और कहते हैं कि उनका व्यवहार एक परिवार के अभिभावक की तरह था| दुख की घड़ी में वो हमेशा उनके साथ खड़े रहते थे|