यह कहानी है एक पंजाबी दिल फेंक मुंडा शिव यानी कि सुशांत सिंह राजपूत की,जिसे हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट मे एक बैंक कर्मचारी की नौकरी मिल जाती है। वहां पर उसकी मुलाकात आयशा यानी कृति सैनन से होती है और फिर चंद मुलाकात के बाद दोस्ती प्रेम में तब्दील हो जाती है।बाद में शराब के व्यापारी जाकिर मर्चेंट के रोल मे जिम सरभ की एंट्री होती है और उसके बाद चीजें बदलने लगती है। आयशा मर्चेंट की तरह खिंचती चली जाती है और जब एक सप्ताह के लिए शिव वियना मे बैंकर्स कांफ्रेंस के लिये जाता है तब उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल चुकी होती है। पुनर्जन्म की बात यही से शुरू होती है
इस फिल्म में सुशांत और कृति की केमिस्ट्री लोगों को काफी पसंद आएगी। इन दोनों ने रूपहले पर्दे पर पहली बार एक साथ अभिनय किया है और दोनों बेहद सहज नजर आ रहे हैं। सुशांत समेत बाकी कास्ट ने अच्छी अभिनय की है।
फिल्म के पहले हाफ मे सुशांत और कृति के बीच की नोकझोक काफी मजेदार है।फिल्म में कुछ समय बोरिंग लगता है दर्शकों इंतजार इसी बात का रहता है कि आखिर ये फिल्म खत्म कब होगी। कबीले वालों की ड्रेसिंग सेंस दर्शकों को पसंद आएगी।
फिल्म की सबसे बड़ी कमी ये है कि ये एक प्रेम कहानी है जिसमें थोक के भाव से इमोशन्स की गुंजाइश रहती है लेकिन ये सब कुछ फिल्म में नहीं है। जब तक फिल्म आज के जमाने में रहती है तब तक सुशांत का अभिनय इसे जिंदा रखता है लेकिन पुनर्जन्म में जाते ही फिल्म खिंचती हुई लगती है।
फिल्म के शानदार लोकेशन्स और गानें दर्शकों को पसंद आएगी। इस फिल्म में जो भी अच्छे पल हैं वो सुशांत और कृति के बीच मे है। इन दोनों के बीच जो डायलॉग है वो मजेदार है। इस फिल्म को देखने की वजह है सुशांत सिंह राजपूत हो सकते हैं, जिनकी फैन फॉलविंग अच्छी है।।
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