बीजेपी ने मिशन 2019 के लिए रोड मैप तय कर लिया है। कैबिनेट में बदलाव हो चुका है और बिहार से शुरुआत करें तो बीजेपी ने पटना से आरा, बक्सर होते हुए यूपी के गाजीपुर और बनारस के रास्ते दिल्ली जाने का रास्ता अपने कैबिनेट के चेहरों के ज़रिए दिखाने की कोशिश की है। 1 सितंबर को मैंने अपने पोस्ट में लिखा था कि बीजेपी बिहार में एक बार फिर से खुद को अपने सवर्ण वोटरों के बीच मजबूत करने की कोशिश करेगी। कैबिनेट में हुआ ताज़ा बदलाव इस बात की पुष्टि कर रहा। गिरिराज सिंह का कैबिनेट में बने रहना भूमिहार वोटरों के लिहाज़ से महत्वपूर्ण है। अश्विनी चौबे की कैबिनेट में इंट्री ब्राह्मण समाज की नाराज़गी दूर करेगा। खास बात यह रही कि बीजेपी ने 2019 को लेकर इस बार सारण की बजाय शाहाबाद कार्ड को खेलना ज्यादा बेहतर समझा है।
नीतीश से अलग होने के बाद लालू प्रसाद अपने वोटरों के बीच पहले से ज्यादा मजबूत दिख रहे हैं। सारण का इलाका लालू के लिए पहले से मजबूत माना जाता रहा है। केंद्रीय कैबिनेट से रूढ़ी की छुट्टी का आधार भले ही परफॉर्मेंस बताया जा रहा हो लेकिन मेरी समझ मे ये बीजेपी की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। दरअसल बीजेपी को ये बात अच्छे से मालूम है कि सारण के इलाके में लालू 2019 में बेहतर नतीजे दे सकते हैं, ऐसे में उस इलाके से केंद्रीय मंत्रिमंडल से चेहरा रखने की बजाय बीजेपी ने शाहाबाद के उस इलाके को ज्यादा तरज़ीह दी है जो उसका पुराना गढ़ रहा है। बीजेपी को असल चिंता इस बात को लेकर रही है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में उसे आरा और बक्सर में बुरी हार का सामना करना पड़ा था। अब अश्विनी चौबे और आरके सिंह के ज़रिए उसकी भरपाई की तैयारी है। इस पूरे बदलाव में रामकृपाल यादव बड़े भाग्यशाली रहे, जो बिना किसी एफर्ट के ही कैबिनेट में बचे रह गए। बीजेपी को उम्मीद है कि बिहार में कैबिनेट बदलाव का असर दिखेगा और पिछले कुछ अरसे से बैक स्टेज पर चला गया उसका समर्थक रहा सवर्ण तबका सक्रिय दिखेगा।
बीजेपी के लिए ये बेहद जरूरी भी है। 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने माहौल तैयार करने के लिए जिस सोशल मीडिया का सहारा लिया था उस सोशल मीडिया के प्लेटफ़ॉर्म पर आज उसके विरोधी भी मजबूती से खड़े होकर जवाब देते दिख रहे। मेरी समझ मे 2019 के लिए माहौल बनाने में इस बार फिर पुराने और परमपरागत चौक.. चौपाल.. पर होने वाली बहस की भूमिका ज्यादा अहम होगी। इसमे कोई संदेह नहीं कि लालू प्रसाद के समर्थक बड़ी मजबूती से गांव – शहर हर जगह अपनी बात रखेगें। बीजेपी के सामने असल मुश्किल यहीं आने वाली थी… लालू प्रसाद के यादव समर्थकों को बीजेपी की तरफ से जवाब केवल भूमिहार, ब्राह्मण या राजपूत जातियों के समर्थक ही दे सकते हैं। सामने 2019 है और बीजेपी ने सवर्ण तबके को लॉलीपॉप देकर उसे एक्टिवेट करने की पूरी कोशिश की है। इंतजार लॉलीपॉप का असर दिखने का है…