अगर कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो कोई मुश्किल आपको आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती| जी हां| मिलिए सीतामढ़ी जिले के मोहनी गांव निवासी ‘रोजगार देवी’ से|नाम सुनकर चौंकिए मत| दरअसल ये इनका असली नाम नहीं है लेकिन इलाके में स्वरोजगार की अलख जगाने वाली रोजगार देवी को लोग प्यार से इसी नाम से बुलाते हैं|इसके पीछे तर्क ये है कि रोजगार देवी उर्फ वीणा देवी ने सैंकड़ों महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने की हिम्मत दी|उन्हें प्रशिक्षण दिया,काम सिखाया और आज वो सैंकड़ों महिलाएं अपने दम पर जिंदगी जी रही हैं| उन्हें ना तो पैसों की किल्लत है और ना ही हुनर की कमी |दरअसल वीणा की जिंदगी भी किसी संघर्ष से कम नहीं है शादी के बाद पति की कमाई इतनी नहीं थी कि जिंदगी की गाड़ी आसानी से चल सके|उसपर से दो बच्चों का बोझ| बस यहीं से शुरुआत होती है वीणा के हिम्मत की|पहले तो खुद जाकर सिलाई,कटाई का प्रशिक्षण लिया और फिर प्रशिक्षित होने के बाद कर्ज लेकर सिलाई मशीन खरीदी और घर से ही गांव के महिलाओं के कपड़े सीने की शुरुआत की|धीरे धीरे आमदनी भी बढ़ी और हिम्मत भी|आज वीणा ने अपने सिलाई,कटाई के काम को आगे बढ़ाकर गांव की दूसरी महिलाओं को प्रशिक्षण देना शुरु किया|वीणा से प्रशिक्षण मिलने के बाद गांव की महिलाओं का भी हौसला बढ़ा और आज दर्जनों महिलाएं स्वरोजगार कर अपना और अपने परिवार का खर्च चला रही हैं|
600 महिलाओं को मिला स्वरोजगार
वीणा की मेहनत धीरे-धीरे रंग लाने लगी|वीणा ने जिले के दूसरे प्रखंडों में भी अपने सेंटर खोल दिए| सेंटर खोलने के बाद वहां भी प्रशिक्षण लेने के लिए महिलाओे की भीड़ लगने लगी|वीणा के इस प्रयास को देखते हुए उन्हें जीविका समूह का अध्यक्ष बना दिया गया|आज वो 12जीविका दीदियों का समूह भी चलाती हैं साथ ही समाज में फैले सामाजिक बुराईयों को उठाने में भी वीणा पीछे नहीं रहती हैं|