जब मंच पर संगीत बजता है और डांसर ठुमके लगाने शुरु करते हैं तो भला कहां कोई अपने को रोक पाता है|और वो भी तब, जब पूरा समां ही संगीतमय हो, स्टेज पर एक साथ नर्तकियों का नाच,नए- नए गानों के बजते मधुर संगीत|भला विधायक हो भी गए तो क्या,उमर भी दूसरे पड़ाव में चली गई तो क्या|आखिर संगीत,संगीत है इसमें भला पद और उम्र का बंधन क्यों!हां ये जरुर है कि वो तो भला हो अनाउंसर का जिसने उन्हें रोक दिया नहीं तो डांसरों के साथ ठुमके लगाने को भी तैयार थे| ऐसा नहीं है कि विधायक जी ने ये पहली बार किया है, पहले भी गानों और संगीत के बीच उनका मन डोला है और खूब पैसे लुटाए हैं|लेकिन इस बार तो नर्तकियों को भी मलाल है कि नेताजी ने तो नोट लुटाए जरुर लेकिन फाड़-फाड़ के|शायद उन्हें ये याद आ गया हो कि अगर रुपये लुटाए तो खबर बनेगी और मीडिया उनकी खबर जरुर लेगा|सो क्यों ना रुपया भी लुटा लें और प्रश्नों से भी बच जाएं|लेकिन विधायकजी आखिर उनमें नोटों का क्या कसूर आपने फाड़-फाड़ के लुटाए या फिर पूरे लुटाए खबर तो बनेगी ही|
अपनी ‘संगीत मिजाजी’ के लिए मशहूर सिवान जिले के बड़हरिया से जेडीयू के विधायक हैं श्याम बहादुर सिंह|अपने विधानसभा इलाके में ही आयोजित एक डांस कार्यक्रम में विधायकजी पूरे लाव लश्कर के साथ पहुंचे थे|थोड़ी देर में कार्यक्रम शुरु हुआ पहले तो वो कुछ देर तक नर्तकियों को डांस खड़े होकर देखते रहे लेकिन जैसे ही माहौल संगीतमय हुआ और डांसरों ने ठुमके लगाने शुरु किए बस क्या था विधायक जी का बेचैन मन खुद को नहीं रोक पाया और लगे नोट फाड़-फाड़ कर लुटाने|विधायकजी को मंच पर रुपया लुटाते देख वहां मौजूद लोगों ने तालियां जरुर बजायीं|