बेटियां अब बोझ नहीं| पिता की इज्जत पर आंच आए अब बेटियों को ये बर्दाश्त नहीं| और इसके लिए वो एक झटके में शादी जैसे बंधनों को तोड़ने के लिए भी तैयार हैं| ऐसी बेटियों की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी जो सामाजिक बंधनों को तोड़ने के लिए भी तैयार है| उसके लिए प्यारी है तो बस अपने परिवार की इज्जत,अपने पिता की पगड़ी| मामला दानापुर का है जहां दूल्हे के घरवालों की दहेज की मांगों से परेशान एक पिता ने अपनी बेटी की शादी की खातिर अपनी पगड़ी दूल्हे के पिता के पैरों पर ऱख दी और शादी करने के लिए रहम की भीख मांगी| लेकिन भला रुपयों का लोभी दूल्हे का पिता कहां मानने वाला था उसने भरे समाज के सामने रुपए नहीं चुकाए जाने के एवज में शादी तोड़ने का एलान कर दिया| लड़की के पिता ने दूल्हे के पिता का मनाया उनके सामने ऐसा नहीं करने की भीख मांगी,लेकिन दूल्हे का पिता टस से मस नहीं हुआ| बस क्या था अपने पिता को गिड़गिडाता देख लड़की ने सामाजिक मर्यादाओं को तोड़ने की ठान ली और भरे समाज में उस दहेज लोभी दूल्हे से शादी करने से साफ इनकार कर दिया|
घर के लोगों ने दूल्हन को काफी समझाया,लेकिन दूल्हन ने शादी से साफ इनकार कर दिया और कहा कि उसके लिए उसके पिता और परिवार की इज्जत सबसे पहले है| यह सुनकर सब दंग रह गए और बाद में दुल्हन की हिम्मत की दाद देने लगे।
धनमंती के इस जज्बे को देखकर गुरुवार को जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल ने धनमंती को प्रेरणा दूत सम्मान से नवाजा है।
धनमंती को मिलेगा प्रशिक्षण
धनमंती कुमारी को कुशल युवा कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षित किया जाएगा। जीविका उसे रिसोर्स पर्सन बनाकर रोल मॉडल के तौर लोगों के बीच ले जाएंगी। उन्होंने मध्य ग्रामीण बैंक पढ़ाई को खर्च उठाने, पिता को रोजगार के लिए एक लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराने की घोषणा की। साथ ही 5100 का नकद पुरस्कार दिया।
महिला हेल्पलाइन ने 10 हजार रुपये से सहायता देने की घोषणा की।
पिता को पगड़ी रख गिड़गिड़ाते देख अच्छा नहीं लगा
धनमंती कुमारी बताया कि लड़के के पिता ने मेरे पिता से 51 हजार रुपये तथा सोने का अंगूठी देने की मांग की। पिता ने अपनी पगड़ी उनके पैर पर रख दी। इज्जत बचाने की गुहार लगाते रहे। पिता का अपमान सहा नहीं गया।
मजदूर हूं, मेरे पास कुछ नहीं बचा था
धनमंती के पिता ने बताया कि एक लाख पांच हजार रुपये में शादी तय हुई थी। 90 हजार दे दिए थे। दूल्हे पक्ष ने ऐन वक्त 51 हजार और सोने की अंगूठी की मांग कर दी। मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं था। मेरी अपमान बेटी से नहीं सहा गया।