राज्य सरकार सूबे में पूर्ण शराबबंदी को लेकर कोई कसर बाकी नहीं रखना चाहती है| जाहिर है पिछले कुछ दिनों से जिस तरह शराब की बड़ी खेप को पुलिस ने पकड़ा है उससे ये साफ नजर आ रहा है कि शराब के धंधेबाज अपने मकसद में कामयाब हो रहे हैं| लेकिन सरकार ने ऐसे माफियाओं के खिलाफ नकेल कसने के लिए नए तरीके अपना रही है| उसमें सबसे पहला है सूचना तंत्र को मजबूत करना| सरकार की कोशिश है कि खुफिया तंत्र को मजबूत कर ऐसे धंधेबाजों पर रोक लगायी जा सकती है और ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए पुलिसकर्मियों को गुप्त सूचना एकत्र करने पर खासतौर पर फोकस कराजा जा रहा है|
पुलिसकर्मियों के अलावा जिला और प्रखंड स्तर तैनात मद्य निषेध कर्मियों को भी गुप्त जानकारी एकत्र करने में लगाया जा रहा है| इसमें आने वाले खर्च को राज्य सरकार वहन करेगी| इसके लिए गृह विभाग ने पुलिसकर्मियों को गुप्त सेवा व्यय के रुप में राशि जारी की है| हरेक प्रखंड स्तर पर गुप्त सेवा व्यय के रुप में दस हजार रुपए का आवंटन किया गया है| जिले के जिलाधिकारी को ये राशि दी गई है इसमें 85 फीसदी राशि डीएम और प्रमंडलीय आयुक्त के स्तर पर कुल आवंटन का 15 फीसदी राशि खर्च करने का अधिकार दिया गया है|
इस राशि का उपयोग पूरी तरह से शराब के व्यापार को पकड़ने के लिए ही किया जायेगा| तर्कसंगत बिल के आधार पर ही ट्रेजरी से पैसे की निकासी हो पायेगी| राशि खर्च करने के तीन महीने के अंदर ही इससे संबंधित डीसी बिल या उपयोगिता प्रमाण-पत्र विभाग में जमा करना होगा| इस गुप्त सेवा व्यय का पूरा हिसाब एक रजिस्टर में लिखना होगा, ताकि इसे देखकर कोई भी खर्च की पूरी वास्तविक स्थिति को आसानी से जान सके.