सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के नियोजित शिक्षकों पर सुनवाई करते हुए कहा है कि एक ही काम के लिए दो तरह का वेतन देना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट बिहार के नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन के मसले पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई करते हुए जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा कि वेतन आज नहीं तो कल बराबर तो करना ही होगा। ये शिक्षक राज्य में कुल शिक्षकों का 60% हैं। कोर्ट ने कहा ये असमानता उचित नहीं है। उन्हें बराबरी पर लाना ही होगा।
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बताते चले कि पटना हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर 2017 को दिए आदेश में इन शिक्षकों को नियमितों के बराबर वेतन देने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में गयी थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई और कहा कि नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के बराबर वेतन नहीं देना गलत है।
इस मामले पर 15 मार्च को अगली सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय विशेषज्ञ कमेटी बनाने का निर्देश दिया। कमेटी को 15 मार्च तक नियोजित शिक्षकों पर खर्च किये जाने वाली राशि के साथ-साथ समान वेतन देने पर राज्य सरकार पर पड़ने वाले भार और पूर्व में खर्च की जा रही राशि की विस्तृत रिपोर्ट देनी होगी।
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गौरतलब है कि फिलहाल नियोजित शिक्षकों को अधिकतम 25 हजार वेतन मिलता है, लेकिन पुराना वेतनमान लागू होने से 40 हजार से ज्यादा वेतन हर महीने मिलेगा, जिससे 3.5 लाख नियोजित शिक्षकों को वेतन देने में राज्य सरकार पर 15 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।