महामारी की दूसरी लहर में, कई बच्चे भी कोविड-19 से संक्रमित हो रहे हैं। नतीजतन, माता-पिता इस बात को लेकर काफी चिंतित रहते हैं कि जब वे होम आइसोलेशन में हों तो उनकी देखभाल कैसे करें?
इसके मद्दे नजर, स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रमण की गंभीरता के स्तर की पहचान करने और कोविड पॉजिटिव बच्चों के लिए आवश्यक उपचार के लिए कुछ दिशा-निर्देश तैयार किए हैं, खासकर जब वो होम आइसोलेशनमें हों। बिना लक्षण वाले बच्चों की पहचान स्क्रीनिंग द्वारा की जाती है,यानी अगर परिवार के अन्य सदस्यों में कोई पॉजिटिव है। ऐसे बच्चों की निगरानी की बहुत आवश्यकता होती है,और में उपचार के लिए लक्षणों के विकासके अनुसार निगरानी की आवश्यकता होती है।
कम गंभीर मामले वाले बच्चे कुछ लक्षण दिखा सकते हैं जैसे सांस लेने में कठिनाई, गले में खराश, डायरियाया खांसी। कुछ बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण भी देखे जा सकते हैं। ऐसे बच्चों को कोई खास उपचार की जरूरत नहीं होती।
जो बच्चे बिना लक्षण वाले या हल्के कोविड-19 संक्रमण से पीड़ित हैं, उन्हें घरेलू अलगाव और सिंपटोमेटिक उपचार के साथ ठीक किया जा सकता है। इसमें वो बच्चे भी शामिल हैं जिनको जन्मजात हृदय रोग, पुरानी फेफड़ों की बीमारी, अंग की शिथिलता और मोटापा जैसी अंतर्निहित सहवर्ती रोगों से ग्रसित हैं।
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साधारण मामलों के लिए उपचार
बुखार के लिए:
पेरासिटामोल 10-15 मिलीग्राम बच्चे के वजन के प्रतिकिलो के हिसाब से खुराक, हर चार से छह घंटे में दोहरा सकते हैं।
खांसी के लिए :
बड़े बच्चों और किशोरों को गर्म पानी में नमक डाल के गरारा करने से गले में राहत मिलती है।
क्या खिलाएं :
हाइड्रेशन और पौष्टिक आहार बनाए रखने के लिए तरल पदार्थ निमियत रूप से पिलाना सुनिश्चित करें।
बच्चों को कौन सी एंटीबायोटिक्स दें?
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, फेविपिरवीर, इवरमेक्टिन, लोपिनवीर / रटनवीर, रेमेडिसविर, उमीफेनोविर, टोसीलिज़ुमैब, इंटरफेरॉन बी 1 ए, कॉन्वेलसेंट प्लाज्मा इन्फ्यूजन या डेक्सामेथासोन सहित इम्युनोमोड्यूलेटर की कोई भूमिका महत्वपूर्ण भूमिका नहीं है। ऐसे में बिना जरूरत और डॉक्टरी सलाह के बिना बच्चे को कोई एंटीबायोटिक न दें।
माता-पिता दिन में दो-तीन बार बच्चे की पल्स और ऑक्सीजन लेवल जरूर चेक करें। इसकी गणना के लिए एक निगरानी चार्ट बनासकते हैं।इस चार्ट में बच्चे की डाइट, उसका ऑक्सीजन लेवल, पल्स रेट, बाथरूम जाने का रिकॉर्ड इत्यादि शामिल करें। इसके अलावा, डॉक्टर के साथ नियमित संवाद भी होना चाहिए।