मौसम विभाग अब ठनका गिरने की खबर भी करीब आधा घंटा पहले फ्लैश करेगा| इधर कुछ सालों से ये देखा जा रहा है कि तेज आंधी और बारिश के चलते ज्यादा लोगों की जान नहीं जाती है लेकिन वज्रपात से सबसे ज्यादा लोगों की मौत हो रही है| राज्य में इसके लिए तीन सेंसर ट्रैक प्रणाली स्थापित की जाएगी| इससे ठनका से होने वाले नुकसान से बचने में बहुत हद तक मददद मिल सकती है| मौसम विभाग के पास अभी तक इसके लिए कोई अलर्ट जारी करने की व्यवस्था नहीं है|
बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से वज्रपात से बचाव के लिए बुधवार को आयोजित एक कार्यशाला के दौरान ये बातें कहीं गईं| आपदा प्रबंधन मंत्री चंद्रशेखर एवं राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष व्यासजी की मौजूदगी में आईआईटीएम पुणे के वैज्ञानिकों डॉ वी गोपालकृष्णन एवं संजय श्रीवास्तव ने ठनका के कारणों,जोखिम और बचाव पर विकसित मॉडल की प्रस्तुति दी| इससे पहले कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए आपदा मंत्री ने कहा कि सुरक्षित बिहार की सोच के तहत हमने आपदा जोखिम न्यूनीकरण रोडमैप बनाया है| इसमें अगले तीस सालों तक की आपदाओं को ध्यान में रखा गया है| उन्होंने कहा कि वज्रपात ऐसी आपदा है,जिससे होने वाली क्षति को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता है|