मुंबई। मुंबई में हो रही भारी बारिश ने लोगों को जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। कई जगह बारिश इतनी ज्यादा हुई है कि वहां बाढ़ के हालात पैदा हो गए हैं। वहीं दूसरी ओर तेज बारिश के कारण जगह-जगह भरे पानी में एक नई बीमारी पनपना शुरू हो गई है। वो है ‘लेप्टोस्पायरोसिस’ जो मुंबईवासियों के लिए खतरा बनकर आई है।
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इस बीमारी से गई इतने लोगों की जान
इस बीमारी के कारण मुंबई में अबतक 4 लोगों की जान जा चुकी है। इन मामलों में कुछ मामले ऐसे भी हैं जिनमें संक्रमित मरीजों ने 24 घंटे के भीतर ही दम तोड़ दिया है। कीट नियंत्रण विभाग ने चूहों के 17 बिलों में कीटनाशक दवा का छिड़कावव किया है, ताकि रोग को फैलने से बचाया जा सके।
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ये हैं लक्षण
लेप्टोस्पायरोसिस के कुछ लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, ठंड, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, पीलिया, लाल आंखें, पेट दर्द, दस्त आदि शामिल हैं। किसी व्यक्ति के दूषित स्रोत के संपर्क में आने और बीमार होने के बीच का समय दो दिन से चार सप्ताह तक का हो सकता है।
शुरुआती चरण में लेप्टोस्पायरोसिस का निदान करना मुश्किल होता है, क्योंकि लक्षण फ्लू और अन्य आम संक्रमणों जैसे ही प्रतीत होते हैं। लेप्टोस्पायरोसिस का इलाज चिकित्सक द्वारा निर्धारित विशिष्ट एंटीबायोटिक्स के साथ किया जा सकता है।”
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डॉक्टरों ने कहा सावधानी ही बचाव
लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणु रोग है, जो मनुष्यों और जानवरों को प्रभावित करता है। यह लेप्टोस्पिरा जीनस के बैक्टीरिया के कारण होता है। यह संक्रमित जानवरों के मूत्र के जरिये फैलता है, जो पानी या मिट्टी में रहते हुए कई सप्ताह से लेकर महीनों तक जीवित रह सकते हैं।
हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, “अत्यधिक बारिश और उसके परिणामस्वरूप बाढ़ से चूहों की संख्या में वृद्धि के चलते जीवाणुओं का फैलाव आसान हो जाता है। संक्रमित चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लेप्टोस्पायर्स होते हैं, जो बाढ़ के पानी में मिल जाते हैं। जीवाणु त्वचा या (आंखों, नाक या मुंह की झल्ली) के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, खासकर यदि त्वचा में कट लगा हो तो।”