नई दिल्ली। लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पारित तो हुआ, मगर हंगामे के बीच। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इसको लेकर घमासान मचा। दोनों पक्षों ने एक दूसरे की नीयत पर सवाल खड़े करते हुए शब्दों के बाण चलाए। कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का तीखा दौर चला। सत्ताधारी पार्टी ने अपने विरोधी से मुस्लिम महिलाओं के प्रति ‘दशकों तक अन्याय’ को लेकर माफी की मांग की है वहीं विपक्षी दलों का आरोप है कि यह विधेयक 2019 के चुनावों को ध्यान में रखते हुए जल्दबाजी में पारित किया गया। मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) पर रोक लगाने के उद्देश्य से लाये गए ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक’ को गुरुवार को लोकसभा की मंजूरी मिल गई। सरकार ने उन दावों को खारिज किया कि इसका उद्देश्य एक खास समुदाय को निशाना बनाना है।
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कांग्रेस समेत विपक्षी दल विधेयक को संयुक्त प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग कर रहे थे। सरकार द्वारा उनकी मांग खारिज किये जाने के बाद विपक्षी दलों ने वॉकआउट किया। लोकसभा में तीन तलाक विधेयक पारित होने को मुस्लिम महिलाओं की समानता और गरिमा सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम करार देते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को मांग की है कि कांग्रेस दशकों तक अन्याय के लिये माफी मांगे।
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शाह ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को लोकसभा में सफलतापूर्वक तीन तलाक विधेयक पारित होने के लिये बधाई दी और कहा कि यह ‘मुस्लिम महिलाओं की समानता और गरिमा सुनिश्चित करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।’ उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के साथ दशकों तक अन्याय के लिये कांग्रेस और अन्य दलों को निश्चित रूप से माफी मांगनी चाहिए। विधेयक को संविधान और मौलिक अधकारों के खिलाफ करार देते हुए कांग्रेस ने कहा कि सरकार ने 2019 के आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए हड़बड़ी में इसे लोकसभा में पारित कराया।
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