नई दिल्ली। बिहार की राजनीति हलचल अभी शांत होने का नाम नहीं ले रही है। जिसे देखो वो सीट बंटवारे पर चर्चा करता दिखाई दे रहा है। इसी के साथ बिहार में तीसरा मोर्चा बनाने की सुगबुगाहट भी शुरू हो गई है। एनडीए से अलग होने के कगार पर खड़े उपेंद्र कुशवाहा बिहार के पूर्व सीएम जीतन मांझी और निषादों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के नाम पर आंदोलन कर रहे मुकेश सहनी उर्फ सन ऑफ मल्लाह के साथ इस गुट को शक्ल देने में लगे हैं। तीनों की आपस में मीटिंग हो गई है और ये तमाम ऐसे दल और नेताओं को एक मंच पर करने की कोशिश कर रहे हैं जो अभी यूपीए और एनडीए का हिस्सा नहीं हैं।
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कुशवाहा अपनी अहमियत बढ़ाने की कोशिश में
सूत्रों के अनुसार बीजेपी की ओर से नजरअंदाज किए जाने और यूपीए में भी मनमाफिक सीट का वादा नहीं पाने के बाद राज्य में तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश में है। जीतन मांझी और मुकेश सहनी के साथ समझौता कर वह एक मजबूत फ्रंट के साथ गठबंधन की बात आगे बढ़ाना चाहते हैं जिससे लोकसभा में अधिक सीट मिल सके। दोनों की अपनी अलग पार्टी राज्य में है। मुकेश सहनी ने एनबीटी से माना कि उन तीनों की आपस में बात हो रही है लेकिन अभी कुछ तय नहीं हुआ है। हालांकि यह मोर्चा आम चुनाव में एनडीए के खिलाफ ही लड़ेगा।
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इस मोर्चा को बनाने में जुटे एक नेता ने कहा कि तीनों का अपनी-अपनी जातियों में बड़ा प्रभाव है। राज्य में मुसहर,सहनी और कुशवाहा की जाति को मिलाकर लगभग 15 फीसदी आबादी है। ये जातियां लगभग 10 लोकसभा सीटों को प्रभावित कर सकती हैं। इनका तर्क है कि राज्य में कांग्रेस और आरजेडी आपस में टिकट बांटकर बाकी सीट इन्हें लड़ने के लिए दें। वहीं आरजेडी सूत्रों के अनुसार सीटों के बंटवारे को लेकर बात चल रही है और उपेंद्र कुशवाहा अगर एनडीए से बाहर होते हैं तो फिर उन्हें गठबंधन में जगह दी जा सकती है।
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