नई दिल्ली। उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के जनता दरबार में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया। त्रिवेंद सिंह के जनता दरबार में एक महिला टीचर उनसे उलझ पड़ी। सीएम से तबादले की अपील करते हुए महिला टीचर काफ़ी आवेश में आ गई, जिसके बाद मुख्यमंत्री भी भड़क गए और महिला को निलंबित करने और हिरासत में लेने का आदेश दे दिया। बाद में महिला को छोड़ दिया गया, लेकिन नौकरी से निलंबित कर दिया गया है।
जनता दरबार में पहुंची शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा पंत ने कहा कि वह पिछले 25 साल से दुर्गम क्षेत्र में अपनी सेवायें दे रही है और अब अपने बच्चों के साथ रहना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि उनके पति की मृत्यु हो चुकी है और अब वह देहरादून में अपने बच्चों को अनाथ नहीं छोड़ना चाहतीं। उत्तरा ने कहा, ”मेरी स्थिति ऐसी है कि ना मैं बच्चों को अकेला छोड़ सकती हूं और ना ही नौकरी छोड़ सकती हूं”। मुख्यमंत्री द्वारा यह पूछे जाने पर कि नौकरी लेते वक्त उन्होंने क्या लिख कर दिया था? उत्तरा ने गुस्से में जवाब दिया कि उन्होंने यह लिखकर नहीं दिया था कि जीवन भर वनवास में रहेंगी।
इससे मुख्यमंत्री भी आवेश में आ गये और उन्होंने शिक्षिका को सभ्यता से अपनी बात रखने को कहा, लेकिन जब उत्तरा नहीं मानीं तो उन्होंने संबंधित अधिकारियों को उन्हें तुरंत निलंबित करने और हिरासत में लेने के निर्देश दे दिये। सरकारी सूत्रों ने बताया कि शिक्षिका को मुख्यमंत्री के निर्देश पर निलंबित कर दिया गया है। हालांकि, बाद में उन्हें हिरासत से रिहा कर दिया गया।
गौरतलब है कि उत्तरा बहुगुणा पंत के अलावा कई अन्य सरकारी कर्मचारी भी दुर्गम क्षेत्र से सुगम क्षेत्र में अपने स्थानांतरण की गुहार लगाने जनता दरबार पहुंचे थे, लेकिन मुख्यमंत्री रावत ने साफ किया कि यह कार्यक्रम ऐसी बातों को उठाने के लिए उचित मंच नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, ”जनसमस्याओं की सुनवाई के दौरान स्थानान्तरण संबंधी अनुरोध बिल्कुल न लाए जाएं। राज्य में तबादला कानून लागू होने से राजकीय सेवाओं के सभी स्थानान्तरण नियामानुसार किए जाएगे। स्थानांतरण के लिए जनता दरबार कार्यक्रम उचित मंच नहीं है।