पिछले कुछ हफ्तों से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जहां पुलिस ने एम्बरग्रीस या व्हेल की उल्टी बेचने की कोशिश कर रहे लोगों को गिरफ्तार किया है। इसी संदर्भ में ये जानना रोचक होगा की आखिर क्यों लोग व्हेल की उल्टी की तस्करी करते हैं?
व्हेल की उल्टी या एम्बरग्रीस क्या है?
एम्बरग्रीस, आमतौर पर व्हेल उल्टी के रूप में जाना जाता है। एक स्पर्म व्हेल एक दिन में कई हजार स्क्वीड खाती है। कभी-कभी, एक स्क्वीडकी चोंच व्हेल के पेट और उसकी आंतों में चली जाती है जहां यह एक जटिल प्रक्रिया के माध्यम से एम्बरग्रीस बन जाती है, और अंततः व्हेल द्वारा उत्सर्जितकर दी जाती है। सूरज की रोशनी और नमकीन पानी के संपर्क के कारण यह अपशिष्ट चट्टान जैसी चिकनी, भूरी गांठ में बदल जाता है, जो मोम जैसा महसूस होता है।
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यह जल निकाय की सतह के चारों ओर तैरता है और कभी-कभी तट तकआ जाता है। व्हेल की उल्टी कुछ ही समय में ठोस पत्थर का रूप ले लेती है, फिर ये जितनी पुरानी होती जाती है, उतनी ही बेशकीमती भी हो जाती है। इसका वज़न 15 ग्राम से 50 किलो तक हो सकता है।
क्यों कहते हैं इसको तैरता सोना?
यह उत्सर्जन इतना मूल्यवान है कि इसे तैरता हुआ सोना कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1 किलो एम्बरग्रीस की कीमत करोड़ोंमें होसकतीहै। इसकी ऊंची कीमत का कारण इत्र बाजार में इसका उपयोग है, खासकर कस्तूरी जैसी सुगंध बनाने के लिए। इसमें मौजूद ऐल्कोहॉल का इस्तेमाल महंगे ब्रैंड परफ्यूम बनाने में करते हैं। इसकी मदद से परफ्यूम की गंध लंबे वक्त तक बरकरार रखी जा सकती है।दुबई जैसे देशों में इसकी काफी मांग है, जहां परफ्यूम का बड़ा बाजार है। प्राचीन मिस्रवासी इसे धूप के रूप में इस्तेमाल करते थे। कई सभ्यताओं में इसका उपयोग कुछ पारंपरिक दवाओं में किया जाता है।
व्हेल को है कानूनी सुरक्षा
अपने उच्च मूल्य के कारण, एम्बरग्रीस तस्करों के लिए विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में एक लक्ष्य रहा है। चूंकि स्पर्म व्हेल एक संरक्षित प्रजाति है, इसलिए व्हेल के शिकार की अनुमति नहीं है। हालांकि, तस्कर मूल्यवान एम्बरग्रीस प्राप्त करने के लिए मछली को अवैध रूप से लक्षित करते आए हैं।