राफेल डील को लेकर पिछले काफी समय से देश में हंगामा मचा हुआ था। विपक्षी पार्टी इस डील को लेकर लगातार सरकार पर सवाल उठा रही थी। लेकिन उनके सवाल का जवाब अब जाकर सरकार ने दिया है। राफेल को अपना बनाकर। इतने इंतजार के बाद राफेल भारत का हुआ। लेकिन अभी इसे भारत आने में 8 महीने और उड़ान भरने में 19 महीने लगेंगे। खास बात ये है कि, दशहरे के शुभ अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने फ्रांस पहुंचकर राफेल विमान की पूजा कर दसॉल्ट कंपनी से इसे रिसीव किया, और देश को एक संदेश दिया कि, अब हमारी वायुसेना और मजबूत होने जा रही है। उनके लिए ये विमान किसी तोहफे से कम नहीं है, जिसका इंतजार वो काफी समय से कर रही थी, आखिर वो अब उनका होने जा रहा है। लेकिन इसके लिए उन्हें अभी काफी अभ्यास करना होगा, जिसके लिए जल्द ही उनकी ट्रेनिंग शुरू की जाएगी।
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#RafaleInduction : Hon’ble Raksha Mantri Shri Rajnath Singh, officially received the first of the 36 Rafale aircraft for IAF today. He is accompanied by Air Marshal HS Arora, Vice Chief of the Air Staff, for the formal acceptance ceremony of the aircraft at Bordeaux, France. pic.twitter.com/DOlBGcmcMG
— Indian Air Force (@IAF_MCC) October 8, 2019
भारतीय वायुसेना में कब शामिल होगा राफेल?
सवाल पर सवाल उठ रहे हैं, आखिर कब भारतीय वायुसेना में शामिल होगा राफेल। आपको बता दें कि, इसे भारत आने में अभी समय है, उससे पहले भारतीय वायुसेना के जवान फ्रांस पहुंचकर इसकी ऑपरेशनल ट्रेनिंग लेंगे।
इससे पहले भारत को 36 विमान मई 2020 तक मिलेंगे। इसके बाद फरवरी 2021 में इस विमान को भारत लाया जाएगा। गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना को जो 36 विमान मिलने हैं, उनके भारत पहुंचने की डेडलाइन सितंबर 2022 है। यानि अगले तीन साल में सभी 36 राफेल लड़ाकू विमान भारत पहुंच सकते हैं जो कि वायुसेना को दमदार बनाने के लिए काफी है।
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कितना ताकतवर है राफेल विमान
राफेल विमान को भारतीय वायुसेना के हिसाब से फ्रांस में तैयार किया गया है। जिसके चलते भारत की सारी जरूरतों का खास ध्यान रखा गया है। बता दें कि, भारत को जो राफेल विमान दिया जाएगा, उसका टेल नंबर RB001 है।
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- इसकी अधिकतम स्पीड 2130 किमी/ घंटा और 3700 किमी. तक मारक क्षमता है।
- विमान की लंबाई 15.27 मीटर है, जिसमें दो पायलट आसानी से बैठ सकते हैं।
- इस विमान में 24500 Kg भार ढोने की क्षमता है।
- 150 किमी की बियोंड विज़ुअल रेंज मिसाइल, हवा से जमीन पर मार वाली स्कैल्प मिसाइल।
- यह दो इंजन वाला लड़ाकू विमान है, जो भारतीय वायुसेना की पहली पसंद है। हर तरह के मिशन में भेजा जा सकता।
- स्कैल्प मिसाइल की रेंज 300 किमी, हथियारों के स्टोरेज के लिए 6 महीने की गारंटी।
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- अत्याधुनिक हथियारों से लैस होगा राफेल, प्लेन के साथ मेटेअर मिसाइल भी है।
- 1 मिनट में 60,000 फ़ुट की ऊंचाई और 4.5 जेनरेशन के ट्विन इंजन से लैस।
- ऑप्ट्रॉनिक सिक्योर फ्रंटल इंफ्रारेड सर्च और ट्रैक सिस्टम से लैस है।
- इस विमान में एमबीडीए एमआइसीए, एमबीडीए मेटेओर और एमबीडीए अपाचे जैसी कई तरह की खतरनाक मिसाइलें और गन लगी होगी।
- इस विमान में लगने वाली मिसाइलें इतनी ताकतवर हैं कि वो, चंद मिनटो में दुश्मनों को मिट्टी में मिला सकती है।
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भारत के लिए राफेल क्यों है इतना जरूरी?
चीन और पाकिस्तान से देश की सीमा सुरक्षा हमेशा एक अहम मुद्दा रहा है। जिसके कारण राफेल भारत और भारतीय सेना के लिए संजीवनी के बराबर है। वैसे भी वायुसेना में लड़ाकू विमानों की कमी है, अगर ये विमान सेना में शामिल होता है तो इससे वायुसेना को एक नई ताकत मिलेगी, और जो देश हमारी देश की सीमा पर नजरें टीकाएं बैठे हैं, उन्हें मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।
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एफ-16 से ज्यादा ताकतवर है राफेल
पाकिस्तान के एफ-16 से ज्यादा ताकतवर है राफेल। राफेल का जितना अच्छा रडार सिस्टम है, उतना एफ-16 में नहीं है। राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी. के दायरे में एक बार में एकसाथ 40 टारगेट की पहचान कर सकता है। जबकि पाकिस्तान के एफ-16 का रडार सिस्टम केवल 84 किमी. के दायरे में केवल 20 टारगेट करने में सक्षम है। राफेल का ऑन बोर्ड रडार और सेंसर काफी दूर से दुश्मन के लड़ाकू विमानों को आसानी से डिटेक्ट कर सकता है। यही नहीं तकनीक के मामले में ह्यूमन मशीन इंटरफेस भी राफेल को अन्य विमानों से ज्यादा सक्षम बनाती है। राफेल में लगे विभिन्न सेंसरों से पायलट को फैसला लेने कुछ माइक्रोसेकेंड का समय लगता है।
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बेमिसाल क्लाइंब रेट का नहीं है कोई भी मुकाबला
राफेल महज एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक आसानी से जा सकता है। इतना ही नहीं 17 हजार किलोग्राम र्इंधन क्षमता से लैस है। साथ ही साथ यह हर तरह के मौसम में एक साथ कई काम करने में सक्षम है। यह परमाणु अटैक, क्लोज एयर सपोर्ट, लेजर डायरेक्ट लॉन्ग रेंज मिसाइल अटैक और ऐंटी शिप अटैक में अचूक है। यह 2,223 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से 24,500 किलो तक का वजन ले जाने में सक्षम है। यही नहीं 60 घंटे की अतिरिक्त उड़ान भी भर सकता है। यह 18,288 मिनट प्रति मिनट की रफ्तार से ऊंचाई पर पहुंचता है जबकि एफ-16 की रेट ऑफ क्लाइंब 15,240 मीटर/मिनट है।
इन सभी खूबियों को जानने के बाद आप इस बात का अंदाजा तो लगा ही चुके होंगे कि, जब ये विमान भारत की धरती पर उतरेगा तो दुश्मनों की क्या हालत होगी। इस बात की चर्चा तो अभी से ही शुरू हो गई है। अब बस इंतजार है इसके भारत आने का और आसमान में उड़ान भरने का। जिसके बाद दिखेगा जोश और जज्बा, जो भारतीय वायुसेना को एक अलग ही ऊंचाईयों तक पहुंचा देगा।