रावन दहन के दिन दशहरा के त्यौहार मनाया जाता है। इसके पीछे कई प्रकार की कहानियाँ है या कह सकते हैं कई तरह की मान्यताएँ हैं। हिन्दू धर्म में दशहरे एवं दिवाली का बहुत महत्व हैं एवं यह बड़े त्योहारों में से एक हैं। पुराणों के अनुसार सबसे चर्चित कहानी है कि इस दिन भगवान् राम ने रावण का वध किया था और असत्य पर सत्य की विजय प्राप्त की थी। हर बच्चे के मुँह पर यह कहानी प्रसिद्द है। इसके अलावा भी रावण दहन के पीछे कई तरह के तर्क हैं।
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लेकिन दक्षिण भारत में रावण दहन को शुभ नहीं माना जाता वहां रावण को भगवान् के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों एवं राम लीला में हमेशा यह बताया जाता है कि कैसे रावण ने मां सीता का छल से हरण किया था और मां सीता को बचाने के लिए भगवान् राम लंका गए थे और रावण का वध किया था और माँ सीता को वापस लेकर आये थे। ऐसी भी मान्यता है कि रावण को यह पता था कि उसकी मृत्यु भगवान् राम के हाथों ही लिखी है तभी उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी और इसलिए रावण ने मां सीता को हरण करने की योजना बनायीं थी। लेकिन रावण ने माँ सीता को छुआ भी नहीं था।
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इसके बाबजूद भी माँ सीता को अपनी पवित्रता का परिचय देने के लिए अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी। इसके अलावा एक कहानी के अनुसार इस दिन कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण की मुद्रा देते हुए शमी की पतियों को स्वर्ण पत्तियों में परिवर्तित कर दिया था। और तभी से शमी के पेड़ को स्वर्ण वृक्ष कहा जाने लगा। रावण दहन से अलग भी कई कहानियां हैं जो इस दिन के लिए काफी प्रचलित हैं। लेकिन रावण दहन का कारण यही है कि रावण ने मां सीता का हरण किया जिसके चलते कई सारे युद्ध हुए जिससे माँ सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाया जा सके। इसे राम लीला का नाम दिया गया जिसमें भगवान् हनुमान ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई यहाँ तक की दक्षिणी भारत में रामसेतु में इसके कई प्रमाण भी मिले हैं जिन्हें नाकारा नहीं जा सकता। एवं इसकी कई प्रकार से खोज भी की गयी है।
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